काफी दिन हो गए है, लेकिन हिंदी में कुछ नहीं लिखा, तो सोचा की आज हिंदी में ही कुछ लिख लिया जाये, आखिर पड़े-पड़े लेखनी मैं भी तो जंग लग जाता है ना! आज कल काफी समय मिल जाता है, तो कुछ समय हिंदी साहित्यिक रचनाओ एवं पत्रों को पढने में व्यतीत कर लेता हूँ| कभी कभी आश्चर्य होता है की साहित्य की इन बेजोड़ रचनाओ का भविष्य क्या होगा जब इस अंग्रेज़ पीढ़ी के बच्चे बड़े होगे जिन्हें की हमारी भाषा और संस्कृति के बारे मैं पता ही नहीं होगा, लेकिन मुझे दुःख नहीं होता अपितु इस नौजवान पीढ़ी पर दया आती है की ये पीढ़ी कुछ महान रचनाओ से वंचित रह जाएगी|
3 comments:
:) Kya padh rahe ho aajkal aap?
mostly poems.. as you can see from last two posts also reading some really good editorial material from naidunia and bhaskar from the past... the are just masterpiece in Hindi... :)
books to start nahi kari hai, but as soon as I will get time from the pending stuff I will start that
Bhaiya aapne tippaniya angreji bhasha me likh kar is rachna ka saundarya kam kar diya...
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