ज़िन्दगी भी क्या नए रंग दिखाती है,
हर मोड़ पर एक नए चेहरे से मिलाती है,
चेहरे, कुछ जाने पहचाने से, कुछ अनजाने से,
किसी के पास जाने की दिल करता है,
किसी को भूल जाने की कोशिश करता है|
कभी कोई चेहरा अपना सा लगने लगता है,
किसी चेहरे से मिल कर रुक जाने का मन करता है,
इस ज़िन्दगी के सफ़र में कुछ हमसफ़र बन जाते है,
कुछ इस भागदौड़ में खो जाते है,
कुछ खोना कुछ पाना सब एक सा लगने लगता है|
क्या भूलू क्या याद करू, कुछ समज में नहीं आता,
बस चलता जाता हूँ, आगे बढता जाता हूँ,
कई चेहरे नयी चीज़े सिखाते है,
तो कुछ नयी राह सुझाते है,
सुनता हूँ सब की, पर करता हूँ अपने मनन की,
क्योकि में भी एक चेहरा हूँ, इस भीड़ में अकेला हूँ|
-अनूप
3 comments:
nice... :)
Thank you madam!
http://tbgastro.wordpress.com/
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